My Bapu supported and saved my father in difficult times

 
 

संकट आया, मगर मेरे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने हमें संभाल लिया

 
- श्री. नितीन मिरजकर, कोल्हापुर
 

 मैं नितीन रमाकांत मिरजकर, सेंट्रल बैंक में नौकरी करता हूँ । मैं प.पू. बापू के पास 1999 से आ रहा हूँ । मेरे पिताजी जो 86 साल के हैं, उनके बायें मस्तिष्क में 85% रक्त का वहन नहीं होता व दायें मस्तिष्क को 45% वहन नहीं होता । उनकी दवाईयाँ जिनमें नींद की गोली भी हैं, जारी हैं ।

दि.6 नवम्बर 2010 की रात 10.30 बजे वे हमेशा की तरह सोने से पहले टॉयलेट में गये । हम भी जाकर सो गये । रात 12.30 बजे मेरी पत्नी को प्यास लगी तब वह जाग गई व रसोई की तरफ जाते समय उसे टी.व्ही. व लाईट चालू अवस्था में दिखे । उसने देखा तो पिताजी पलंग पर नहीं थे । अतः टॉयलेट देखा तो वे वहाँ गिरे हुए दिखे । उसने मुझे आवाज दी। हम दोनों ही उन्हें उठा न पाये । अतः मेरे बेटे की मदद से हमने उन्हें लाकर पलंग पर सुलाया ।

मेरी तो नींद ही उड़ गई थी । मन में तरह तरह के विचार आने लगे । मेरा बेटा वैसे तो शिक्षा प्राप्त करने के लिये शहर के बाहर रहता है । दिवाली की छुट्टियों हेतु वह घर पर था । नहीं तो क्या हो जाता ? पिताजी रात 10.30 से 12.30 तक टॉयलेट में ही गिरे पड़े थे । करीब दो घंटे !! क्या हुआ होगा ? इस उम्र में हड्डियाँ भी कमजोर पड़ जाती हैं । हो सकता है कि फ्रॅक्चर हो ? सुबह क्या क्या देखने को मिलेगा यह चिंता थी । दूसरे दिन दिवाली का पाड़वा था । कोई डॉक्टर मिलेगा या नहीं ? मैं उन्हें कहाँ लेकर जाऊँ ? कैसे ? यह सोचते सोचते नींद लग गई । सुबह नींद जरा देर से ही 7.30 बजे खुली । तुरंत पिताजी को देखने गया । तो आश्चर्य ! विश्वास नहीं हो रहा था । वे नहाकर हमेशा की तरह चाय पीते पीते टी.व्ही. देख रहे थे । जब मैं ने पूछा,''कहीं दर्द है ? सूजन है ?'' तो वे बोले,''ऐसा क्यों पूछ रहे हो आज?'' उन्हें रात की बात याद ही न थी । उन्हें बताया तो उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था ।

उन्हें ऐसा देखकर मेरा मन शांत हो गया था । मैंने सद्गुरु बापू का नामस्मरण किया, उन्हें कहा,''बापू, यह सब आपके सिवा कोई नहीं कर सकता । आप हमेशा हमारे साथ रहते हो और इसका प्रमाण भी देते हो । हमेशा ऐसी ही कृपादृष्टी बनाए रखना ।''

मैं , मेरी पत्नी व बेटा बापूभक्त हैं । परंतु मेरे पिताजी का बापू पर विश्वास नहीं । वे इसका विरोध करते हैं । अतः मेरे घर मे पादुका पूजन करने के लिये सन 2008 साल तर मुझे प्रतीक्षा करनी पड़ी। आज भी बापू के पादुका पूजन या उनके कार्यक्रमों को वे सहकार्य नहीं देते ।

परंतु मेरे बापू ने सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि उन्हें भी साथ दिया है । संकट आने के पहले ही बापू उस पर उपाय योजना लेकर किसी भी रुप में आ सकते हैं । यही सच है । परंतु इसके लिये हमारी श्रद्धा होनी चाहिये ।

बापू के चरणों में यही प्रार्थना ,''हे बापूराया, हमें सदैव अपना वानरसैनिक बनाये रखना ।''